Introducing San Francisco History of the Tower of London Grand Central Station Visitors Guide

''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका

        

Friday, October 20, 2017

हिन्दू धर्मग्रंथो में कार्तिक महीना बेहद शुभ माना जाता है। इस महीने का एक अहम त्यौहार है गोवर्धन -पूजा है क्योंकि इस माह की शुरुआत ही इसी पर्व से होती है, इस माह प्रतिदिन दीप जलाने का महत्व है, इस माह के स्वामी भगवान विष्णु हैं, और हमारे भिलाई, दुर्ग राजनांद गांव सहित पूरे छत्तीसगढ़ में तो आज से मातर तिहार मनावे बर सब्बो डाहन से गांव दिहात से अब्बड़कन तैयारी चलत हे, एखर पहिली हमन छत्तीसगढि़या मन हा 'बोनस तिहार' मनाय हवयं, अब मातर मनाबो, मोर शांतिनगर, ( ज्योतिष भवन) के घर डाहन 'गावो विश्वस्य मातर:' के अलख जगावे बर जरुर आबो । छत्तीसगढ़ गोवर्धन पूजा को कई लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गाय माता की पूजा की जाती है। महाभारत,  समेत कई हिन्दू ग्रंथों में इस व्रत का वर्णन किया गया है।

इस दिन प्रातः स्नान करके पूजा स्थल पर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाना चाहिए। इस पर्वत पर श्रद्धापूर्वक अक्षत,चंदन, धूप, फूल आदि चढ़ाना चाहिए। पर्वत के सामने दीप जलाना चाहिए तथा पकवानों के साथ श्रीकृष्ण प्रतिमा की भी पूजा करनी चाहिए।

इसके बाद पकवान जैसे गुड़ से बनी खीर, पुरी, चने की दाल और गुड़ का भोग लगाकर गाय को खिलाना चाहिए तथा पूजा के पश्चात परिवार के सभी सदस्यों को भी भोग लगे हुए प्रसाद को ही सबसे पहले खाना चाहिए।

गोवर्धन पूजा की कथा श्रीकृष्ण काल से जुड़ी है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रज में इंद्र देव की पूजा करने का रिवाज था, जिसे समाप्त कर भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा करना प्रारंभ किया था। श्रीकृष्ण जी का यह तर्क था कि इंद्रदेव तो वर्षा कर मात्र अपने कर्म को निभा रहे हैं लेकिन गोवर्धन पर्वत हमें ईंधन, फल आदि देकर हमारी सेवा भी करता है। इस बात पर देव इंद्र को बहुत क्रोध आया और उन्होंने ब्रज में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर दी।

बाढ़ से ब्रजवासी बड़े परेशान हो गए तथा अपने प्राण बचाने के लिए इधर -उधर भागने लगें। इस स्थिति में भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कानी ऊंगली पर उठा लिया, जिसके नीचे आकर सभी ब्रजवासियों ने अपने प्राण बचाए। इस घटना के बाद से ही गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की सहायता से इंद्र का घमंड चूर किया था तथा स्वयं गोवर्धन पर्वत ने ब्रजवासियों को अपने दर्शन देकर छप्पन भोग द्वारा उनकी भूख मिटायी थी। इस प्रकार गोवर्धन पूजा करने से घर में दरिद्रता का वास नहीं होता तथा घर हमेंशा धन और अन्न से भरा रहता है।

(कल भाई दूज है, अग्रिम बधाई और इस मांह के विभिन्न पर्व प्रसंगो पर लघु आलेख लेकर प्रस्तुत होते रहूंगा, प्रतिक्षा है आपके प्रतिक्रिया की)

- आचार्य पण्डित विनोद चौबे,

 संपादक - "ज्योतिष का सूर्य" राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई, मोबाईल नं. 9827198828

Sunday, September 17, 2017

शनि का शुभाशुभ  प्रभाव पति+पत्नि के व्यावहारिक जीवन पर..??

शनि का शुभाशुभ  प्रभाव पति+पत्नि के व्यावहारिक जीवन पर..??

शनि ग्रह यदि आपकी कुण्डली में प्रतिकूल है तो, पति-पत्नि के वैवाहिक जीवन को परस्पर गलतफहमियों की वजह से रिश्तों में खटाश ला देता है ! यहां तक की देखा गया, यदि यह शनि सप्तम भाव पर तीसरी, सातवीं तथा दसवीं दृष्टि डालते हैं और पत्नि अग्नि तत्व की हैं तो दाम्पत्य जीवन को तलाक तक पहुंचा देता है... कल हमने दिल्ली के ओम विहार के प्रतिष्ठित परिवार की एक विवाहिता महिला की कुण्डली का समीक्षा किया, तो पाया की महिला अग्नि तत्व प्रधान हैं तथा उनके पति के सप्तम भाव पर  शनि ग्रह की दृष्टि और राहु ग्रह की  धीरे चलने वाला ग्रह है, मंद ग्रह भी कहा जाता है। ये हमेशा हमे हमारे कर्मो का उचित परिणाम देता है।इसलिए इसे न्याय का देवता भी कहते है।कुछ इनके शुभ फल भी होते है और कुछ अशुभ भी।पर जो भी फल देते है ये वो हमारे खुद के कर्मो द्वारा ही निर्धारित होता है।जन्म कुंडली के सातवें भाव में अन्य ग्रहों के योगायोग में यदि शनि शुभ हो तो जातक को निम्नलिखित शुभ फल प्राप्त होते हैं।
1. अत्यंत चुस्त एवं फुर्तीला होता है।
2. राजनीति में जाने से लाभ होता है।
3. जातक नेक सलाहकार होता है।
4. आप अल्प बुद्धिमान होते हुए भी राज्य से सम्मानित होंगे।
5. शनि और मंगल दोनों ही 7 भाव में बैठे हों तो बेईमानी से धन प्राप्त कर लक्ष्मीवान बन सकते हैं।
6. बना हुआ मकान खरीदेंगे।
7. आपके पास चाहें लड़कियाँ कितनी भी हों, विवाह में परेशानी नहीं होगी।
8. मकान यदि पीलर डालकर बनाया जाए तो अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
9. अग्नि राशि का शनि हो तो पत्नी मनमोहक सुंदर होगी।
10. जल राशि का शनि हो तो पत्नी सभी प्रकार से अच्छी मिलती है।
अशुभ फल भी जान लें।
सातवे भाव में बैठा शनि अन्य ग्रहों के संबंध से अशुभ हो तो विपदाओं का सामना होगा। साथ ये भी फल प्राप्त होंगे.
1. यदि आप धुम्रपान एवं मदिरा पीएँगे तो बर्बाद हो जाएँगे।

2. 7 भाव में शनि हो और अगर बाहरी स्त्री के साथ आपके सम्बन्ध हो तो आपका व्यापार तबाह हो जायेगा।
3. आपकी शादी 22 साल के पहले हो गई होगी तो नेत्र रोग हो सकता है।
4. 7 भाव में शनि हो और बुध शत्रु ग्रह 3, 7, 10 में हो तो जातक के पिता का धन बर्बाद होता है।
कुंडली के विवेचना के अनुसार अगर उचित उपाय किये जाये तो परिणाम अच्छा मिलता है !! अस्तु!!

- आचार्य पण्डित विनोद चौबे
(ज्योतिष, हस्तरेखा, वैदिक वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ) संपादक- ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांतिनगर, भिलाई, जिला- दुर्ग (छ.ग.)
Mobil.no. 987198828 

Thursday, August 31, 2017

वास्तु शास्त्र का आखिर सच क्या है ?

वास्तु शास्त्र का आखिर सच क्या है ? प्राचीन वास्तु शास्त्र का शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक आधार कम होते जा रहा है फैशन बन गया है वास्तुशास्त्र और बढ़ता जा रहा है अन्ध विश्वास की ओर. वैदिक काल से ही ज्योतिष शास्त्र अति पुरातन परम्परा मे मानव जीवन के विविध पक्षों पर अति सूक्ष्मता से विचार करता आ रहा है. जिस क्रम से मानव सभ्यता का विकास हुआ उसी क्रम से विविध रूपो मं इस चमत्कारी विद्या का भी विकास हुआ. जीवन मं आने वाली प्राकृतिक - अप्राकृतिक विनाशकारी आपदाओं, घटने वाली घटनाओं और होने वाली बीमारियों को जानने, बाधारहित घर का निर्माण तथा भूमिगत पदार्थो के आधार पर भूमि का शुभ और अशुभ फलों के ज्ञान सहित भूमि का गृहनिर्माण में कितनी उपयोगिता आदि के बारे में ज्योतिष संहिता के भाग में चार पुरुषार्थो के साधन का महत्वपूर्ण अंग है जिसके अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति का अपना घर होना चाहिये. क्योंकि इसके बिना व्यक्ति के मौत और स्मार्त कर्म पूर्ण फल नही देते. यदि उक्त कर्म किसी दूसरे की भूमि या घर में करते हैं तो उसके पूण्य फल का भागीदार भूमि स्वामी या गृहपति बन जाता है. जैसा कि भविष्यपुराण में उल्लेखित किया गया है। गृहस्थस्य क्रिया: सर्वा न सिद्धयन्ति गृहं बिना। यतस्तस्माद, गृहारम्भ प्रवेश समयौ ब्रुवे॥ परगेहे कृता: सर्वे श्रौतस्मार्ट क्रिया: शुभा:। न सिद्धयन्ति यतस्मार्त भुमीश: फलमुरश्नुते॥ उपरोक्त पैराणिक कथन से दान में सर्वाधिक महापुण्य कन्यादान होता है. और आज कल के बदलते परिवेश में विवाह करने व कराने का अधिकतम कार्य होटल, रेस्टोरेंट, लॉज, सामुहिक भवन सहित आस पास के मैदान में टेन्ट के छांïव तले ही सम्पन्न होते हैं. इस प्रकार यदि प्रमाणितका के तरफ जाते हैं तो होटल, रेस्टोरेन्ट या सार्वजनिक स्थलों पर केवल रिसेप्शन ही सम्भव है. यहां आपको बताना आवश्यक होगा कि समाजिक विसंगति अथवा बाहरी दिखावा रूपी फैशन इतना हावी हो चुका है कि वास्तु को नियमों व शर्तो को ताक पर रखते हुये इसे अन्ध विश्वास कायम कर अपने आपको एक माडर्न मानव सभ्यता का परिचय देते हैं. परिणाम आप लोगों के सामने है. दिन प्रतिदिन पति-पत्नी में बढ़ती दूरियां पति द्वारा पत्नि को मार देना अथवा पत्नि के अवैध सम्बन्धों के अन्धेरी रात में अपने पति का ही कत्ल करा देना आदि घृणीत कार्यो में पिछले उदशक में भारी वृद्धि हुयी है. वस्तुत: पौराणिक व शास्त्रीय धर्म सूत्र एक दूसरे से आत्म मिलन कराता है. तथा फैशन रूपी माडर्न सभ्यता के फिल्मी स्टाईल सूत्र क्षण मात्र के लिये ऊपरी मन से मिलन होता है. क्योंकि होटलों में विवाह की वेदी पर बैठे वर-वधू छोटी उम्र से ही फिल्मी अंदाज फिल्माया गये करतब देखे हैं. और उसी चित्र पट को माता पिता बखूबी परोसने में वास्तु एवं पुराणों के धर्म सूत्र को नजर अंदाज कर देते हैं. और परिणाम की बिटिया के विवाहोपरान्त चन्द दिनों में अपने माता पिता के शरण में आ जाती है. अथवा सलाखों के पीछे होती है. या तिसरा घृणित कार्य मानी स्वयं प्रभु के प्यारे हो जाती है. खैर बाते बहुत है किन्तु मै आपको सार गर्भित शब्दों में यहाँ ज्योतिष का सूर्य के माध्यम से बताना चाहूँगा कि भारतीय संस्कृति की धुरी शास्त्रीय धर्मसूत्र जीवन को सुधार का बेहतर बनाता है. फैशन पर आधारित सभी कृत्य चाहे वह बनावटी धर्म कृत्य अथवा आधुनिक बनावटी वास्तु शास्त्रीयों के कपोल कल्पित वास्तु के सिद्धान्त यह केवल अन्ध विश्वास के तरफ धकेलने का एक सुनियोजित स्वार्थ पारायणता है जिससे समाज का भला कम लेकिन कपोलकल्पित वास्तु शास्त्रीयों का एक मोटी रकम के रूप में बेहतर भला जरूर होता है. जरूरत है हमें सम्भलने का....

Wednesday, August 30, 2017

*!!ऊँ अगस्ताय नम:!!* भारतीय नेतृत्व कर्ता *मोदी* जी के *जज्बे* को *सलाम* !

*!!ऊँ अगस्ताय नम:!!*
भारतीय नेतृत्व कर्ता *मोदी* जी के *जज्बे* को *सलाम* !
*सैल्यूट* देश की जनता को जिसने *धैर्य पूर्वक भारतीय सरकार द्वारा उठाये गये राष्ट्र हित में कदम* का *कदम ताल* मिलाकर साथ दिया....
*मानाकि आज देश में 'कड़े और बड़े फैसलों' से बाजार में मंदी आई है, लेकिन इसका दूरगामी परिणाम दिखने लगा* परिणाम ..पहली तिमाही में ही ९२००० करोड़ टैक्स मिला, साथ ही विदेशी प्रोडक्टों पर रोक लगी, स्वदेशी सामानों की खपत बढ़ी ! इससे साफ है कि *धीरे धीरे चाईना* भी वापसी करने लगेगा !

बड़े फैसलों के नाम रहा अगस्त का महीना !
तीन तलाक , आधार और रामरहीम पर आए कोर्ट वर्डिक्ट , देश के इतिहास में दर्ज हो गए ।
भारतीय जनमानस इतना सम्बद्ध कम ही रहता है , जितना इस महीने रहा ।
भारत के समर्थन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने पाक को खरी खरी सुनाई और दुनियाभर को डराने वाला चीन पहली बार मुंह की खाकर वापस लौट गया । यह भी अगस्त के नाम रहे ।
जाहिर है , पाकिस्तान में खलबली मची है और जबरदस्त बेचैनी है । अमेरिकी फटकार से वह इतना नहीं डरा ,  जितना चीन की डरी हुई वापसी से डर गया ।
पाकिस्तान की सत्ता को आतँकवादी कब्जाने की पूरी फिराक में हैं । पाक में राजनैतिक शून्यता दिखाई पड़ रही है । आईएसआई और सेना मिलकर कब आतंकियों को पाक का मसीहा बना दें , पता भी न चलेगा ।
यह तो तय है कि अमेरिकी सहयोग और चीन की वापसी से भारत का पहले से बढ़ा मनोबल और बढ़ गया है । कश्मीर में पाकिस्तान कितनी भी चुनौतियां खड़ी करे , भारत अब डरने वाले नहीं ।
एक बात तय है । कूटनीति और बाजार के युग में , युद्ध अब मुश्किल हैं । देखिए , इतनी भयंकर धमकियों और उथल पुथल के बावजूद अमेरिका और कोरिया के बीच जंग नहीं हो रही ! शायद बड़ी जंग बेमानी हो चली हैं ।
भारतीय लोकतंत्र , नित्य नवीन पन्ने लिख रहा है । देश , एक नई सुबह और रौशनी का अभ्यस्त हो चला है ।
कुल मिलाकर आजका मोदी नेतृत्व *वोट बैंक-हित* की राजनीति नहीं बल्कि *राष्ट्रहित की राष्ट्रनीति* कर रहे हैं... सलाम उनके इस *जज्बे* को !
नमन, वंदन, अभिनंदन ....
- पण्डित विनोद चौबे
संपादक- *ज्योतिष का सूर्य* भिलाई 9827198828
भिलाई

Tuesday, August 29, 2017

बधाई हो मोदी जी ! लेकिन सावधान रहें चीन से यह अविश्वसनीय मित्र है

बधाई हो मोदी जी 'डोकलाम' मुद्दे पर विजयी होने की..

डोकलाम में चीन अब सड़क भले न बनाये पर भारत और चीन मिलकर दुनिया के नक्शे पर जो सड़क बनाने का तानाबाना बुनने की तैयारी में हैं, चार सितंबर को उसकी बुनियाद का नक्शा बन जाने की पूरी संभावना है।
दो महीने तक दो महाबली पंजा मिला कर एक-दूसरे की ताकत और हौसले को आजमाते रहे, उसके बाद दोनों में जो समझदारी बनी है ये समझदारी पूरी दुनिया के शक्ति संतुलन में बहुत बड़ा उलटफेर करने जा रही है।
अपनी दो-गली कूटनीति से अमेरिका कई दशक से लड़ाने और हथियार बेचने का जो धंधा करता आ रहा है, वह नीति शायद अब ज्यादा न चल पाये।
पाकिस्तान को बार बार चेतावनी देने से अब भारत संतुष्ट नही होगा, अमेरिका को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे ।
चीन में चार सितंबर को संभावित भारत -चीन के राष्ट्राध्यक्षों की गुफ्तगू कूटनीति की दुनिया में बहुत बड़े बड़े गुल खिलायेगी।

फिलहाल एक बात तय जान लीजिये कि इन दो महाशक्तियों के निकट भविष्य में टकराव की आशंका खत्म हो चुकी है । अब यही दोनों मिलकर एक नया अध्याय लिखेंगे।
फिर भी चीन की विस्तारवादी निती से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि पिछली युपीए सरकार की दक्षिण एशिया को लेकर निष्क्रिय नीति के चलते चीन नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका इत्यादि देशो मे जबरदस्त बढत बना लिया है और इन देशो को कर्ज के नाम पर अब ब्लैकमेल भी कर रहा है।
भारत को इसकी भरपाई दक्षिण-पूर्व एशिया के देशो से से बेहतर संबंध और दक्षिण एशिया के इन देशो मे धीरे-धीरे एक बडे भाई की तरह पहुच बनानी होगी।
जो हमारे कूटनितिक महारथी इस निती पर काम  करते दिख भी रहे है?

हालाकि मेरा मानना है कि राजनयिक कूटनीति  में चीन हमारा अविश्वसनीय दुश्मन है।वह हमारे मस्तक पर बैठा हुआ है ,उसने हमारी वेशकीमती हजारों वर्ग किलोमीटर भूमि अपनी विस्तारवादी नीति के कारण दबाई हुई है।चीन ड्रेगन है उससे हमारी मित्रता घातक होगी। उसकी दखलन्दाजी हमारे सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र को बर्बाद कर देगी।वह हमारा प्रतिद्वंद्वी है।वैसे भी दो महाशक्तियां कूटनीतिक क्षेत्र में एक साथ नहीं होतीं।भारत को नेहरू की नीति पर नहीं चलना चाहिए ।अन्यथा हम फिर धोखा खा जाएंगे। नरेंद्र को 'नेहरू' बनने की कतई जरूरत नही है।

लीक से हटकर आत्महत्या करने की राह पर पाकिस्तान या यूं कहें, उत्तर कोरिया की राह पर बढ़ता पाकिस्तान...

अफगानिस्तान के मसले पर अमेरिका से मिली लताड़ और पाकिस्तान की चीन से बढ़ती नजदीकियों को इलाके के जानकार पाकिस्तान के उत्तर कोरिया बनने की दिशा में बढ़ा कदम मान रहे हैं.

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती कोई नयी नहीं है लेकिन हाल के वर्षों में दोनों के बीच आर्थिक साझेदारी के साथ ही सैन्य सहयोग भी काफी बढ़ा है।
इस बीच अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका की पाकिस्तान को लेकर नाखुशी भी जगजाहिर हो चुकी है।

अफगानिस्तान और दक्षिण एशियाई मामलों के जानकार पाकिस्तान के रुख को उत्तर कोरिया जैसा मान रहे हैं. उनका कहना है कि अगर पाकिस्तान नहीं संभला तो उस पर प्रतिबंध लगने की नौबत भी आ सकती है.
और चीन के लिए ये मौका होगा, बाजार और हथियार का।।
इसलिये चीन पर तो कभी विश्वास करना ही नहीं चाहिये ! क्योंकि चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति के तहत 'तिब्बत जैसे देश को लील गया और 'भूटान तथा नेपाल' पर भी रणनीतिक सीमा पर घुसने की कोशीश करते ही रहता है, इसके अलावा पाकिस्तान को निगलने को आतुर है, जिसमे ब्लूचिस्तान पर अपना जाल बिछा ही दिया है ! ऐसे में इस ड्रेगन रुपी हिरण्याकशिपु पर विश्वास करना ही नहीं चाहिये !
- पण्डित विनोद चौबे
संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य'
9827198828

Thursday, August 24, 2017

गणेश जी के ललाट पर चंद्र विराजित हैं फिर भी चन्द्र दर्शन वर्जित क्यो..?

गणेश चतुर्थी की शुभकामना !
आज गणेश चतुर्थी के दिन भगवान विनायक का जन्मोत्सव शुरू हो गया ।
यद्यपि चंद्रमा उनके पिता शिव के मस्तक पर विराजमान हैं, किंतु गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए ,, शास्त्रीय मान्यता है कि इस दिन चंद्रदर्शन से मनुष्य को निश्चय ही मिथ्या कलंक का सामना करना पड़ता है।
शास्त्रों के अनुसार भाद्र शुक्ल चतुर्थी के दिन श्रीकृष्ण ने चंद्रमा का दर्शन कर लिया।,,,फलस्वरूप उन पर भी मणि चुराने का कलंक लगा। कि इस दिन किसी भी सूरत में चंद्रमा का दर्शन करने से बचना चाहिए। शास्त्रों में इसे कलंक चतुर्थी भी कहा गया है,,,चंद्रदर्शन देता मिथ्या कलंक
जब श्री गणेश का जन्म हुआ, तब उनके गज बदन को देख कर चंद्रमा ने हंसी उड़ाई। क्रोध में गणेश जी ने चंद्रमा को शाप दे दिया कि उस दिन से जो भी व्यक्ति चंद्रमा का दर्शन करेगा, उसे कलंक भोगने पड़ेंगे।
चंद्रमा के क्षमा याचना करने पर गणपति ने अपने शाप की अवधि घटाकर केवल अपने जन्मदिवस के लिए कर दी। फलस्वरूप यदि गलती से चंद्रमा का दर्शन गणेश चतुर्थी के दिन हो जाए तो गणेश सहस्त्रनाम का पाठ कर दोष निवारण करना चाहिए।,,,,गणपति की बेडोल काया देख कर चंद्रमा उन पर हंसे थे, इसलिए श्रीगणेश ने उन्हें श्रापित कर दिया था।,,,गणपति के श्राप के कारण चतुर्थी का चंद्रमा दर्शनीय होने के बावजूद दर्शनीय नहीं है। गणेश ने कहा था कि इस दिन जो भी तुम्हारा दर्शन करेगा, उसे कोई न कोई कलंक भुगतना पडे़गा। इस दिन यदि चंद्रदर्शन हो जाए, तो चांदी का चंद्रमा दान करना चाहिए।
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने चतुर्थी का चांद देख लिया तो उन पर स्यमन्तक मणि की चोरी का झूठा आरोप लगा था।

तुलसीदासजी ने भी रामचरित मानस में बताया है, 'पर नारी पर लीलार गौसांई, तजहूं चौथ के चंद्र की नांई।'
गणेश पुराण में बताया है कि केवल भाद्रपद शुक्लपक्ष विनायकी गणेश चतुर्थी का चंद्रदर्शन नहीं करना चाहिए। वर्ष भर की अन्य चतुर्थीयों की पूजा चंद्रदर्शन से ही पूर्ण होती है।
गणेशजी ने चंद्रमा को दिया था श्राप,,,,,एक बार गणेशजी कहीं जा रहे थे तो गजमुख व लम्बोदर देखकर चंद्रमा ने उनका मजाक उड़ाया था। तभी गणेशजी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि आज से जो भी तुम्हे देखेगा, उस पर मिथ्या ''कलंक"" लगेगाl

गणेश चतुर्थी ,,,,चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए,,,
यदि अनजाने में चंद्रमा का दर्शन हो जाए, तो इस दोष की शान्ति हेतु श्रीमद् भागवत जी के दशमस्कन्ध के 57 वें अध्याय को पढ़कर स्यमन्तक मणि की कथा सुने।
इसके अलावा इस श्लोक का पाठ भी कर सकते हैं -
सिह: प्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्मेषस्यमन्तक: !!

- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, भिलाईसंपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका

Sunday, August 20, 2017

भारतीय स्वतंत्रता १९४७ के तत्क्षण बाद ही हिन्दुओं के साथ बहुत बड़ा षडयंत्र हुआ...

आज सम्पन्न हुए *अन्तर्नाद मंच के वार्षिक समारोह* में प्रथम बार हम सबका आपस में हुए परिचय से मैं अभिभूत हूं l

ग्रुप में कई दिनों से अपने अपने विचारों का आदान-प्रदान हो रहा था, आज प्रत्यक्ष मिलने का अवसर ज्योतिषाचार्य पं. विनोद जी, राजू महाराज, बहन साधना जी, सविता जी तथा और भी महानुभावों की योजना से यह संभव हो सका l

मा. विजय बघेल जी की उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ी है l

मैंने अपने अध्ययन और अनुभव के आधार पर देश की स्थिति का वर्णन करने का प्रयत्न किया, हमारी चुनौतियां क्या है? इसे भी बताने का प्रयत्न किया l
संस्कारों का जीवन में कितना महत्व है, इसका उल्लेख करते हुए मुगलों और अंग्रेजों की लंबे समय तक रही गुलामी के कारण हमारे मानस पटल पर उसका आज भी प्रभाव दिख रहा है l घर परिवारों में अच्छे संस्कारों को देने की हमारी भूमिका ज्यादा बढ़ी है l हमारी आनेवाली नयी पीढ़ी को इसके प्रति अधिक सचेत व जागरुक करने का हमारा दायित्व बढ़ा है l

1947 को आजादी के बाद देश की बागडोर संभालने वाले राजनैतिक नेतृत्व ने हम हिन्दुओं के साथ छलावा करते हुए आपस में बांटे रखने का बड़ा षड़यंत्र योजनापूर्वक किया l
किन्तु अनादिकाल से चली आ रही सनातन संस्कृति, परम्परा को अक्षुण्ण बनाकर रखते हुए 2014 में फिर से भारतीय इतिहास का नया अध्याय पुन: स्थापित हुआ l यह हम सबके लिए सौभाग्य की बात है l

पहली बार मिलने के कारण ग्रुप के साथ और भी काफी विषय शेअर करने थे, समय मर्यादा के कारण जितना संभव होना था, वह हुआ l पहली बार मिलने के कारण परिवार भाव की अनुभूति से सबके चेहरे पर खुशियां झलक रही थी l

परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए आशा और विश्वास करता हूं कि, *अन्तर्नाद मंच* की गतिविधियों का विस्तार होते हुए समाजपयोगी कार्य में पूर्ण सफल होगा l

मेरी शुभकामनाएं...

सबका बहुत बहुत आभार, धन्यवाद l

               ~ कनिराम, सह प्रांत प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, छत्तीसगढ प्रांत